ये कहानी है एक छोटे से गाँव की, जहाँ एक लड़की, गुड़िया, अपने माता-पिता के साथ रहती थी। गुड़िया का सपना था कि वह एक दिन बड़ी होकर डॉक्टर बने और अपने गाँव के लोगों का इलाज कर सके। पर उसकी राह में कई मुश्किलें थीं। उसके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, और गाँव में पढ़ाई की सुविधाएँ भी बहुत कम थीं।
गुड़िया के माता-पिता मेहनत करके थोड़ा-बहुत कमा पाते थे, लेकिन पढ़ाई के लिए ज्यादा पैसे नहीं बचा पाते थे। कई बार तो गुड़िया को अपने घर का काम भी करना पड़ता था और उसके पास पढ़ाई का समय ही नहीं बचता था। पर उसके मन में डॉक्टर बनने का सपना इतना मजबूत था कि वह हर दिन देर रात तक पढ़ाई करती थी।
गाँव में बिजली नहीं थी, तो वह मिट्टी के दीये की रोशनी में पढ़ती थी। उसके दोस्तों ने कई बार उससे कहा, "तू इतनी मेहनत क्यों कर रही है? यहाँ से कोई डॉक्टर बनकर बाहर नहीं जा सकता।" लेकिन गुड़िया ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
एक दिन गाँव में एक एनजीओ से कुछ लोग आए और उन्होंने बच्चों की पढ़ाई में मदद करने का कार्यक्रम शुरू किया। गुड़िया ने उस अवसर को हाथ से नहीं जाने दिया। उसने उनसे मिलकर अपनी पढ़ाई और अपने सपनों के बारे में बताया। गुड़िया की मेहनत और लगन देखकर उन लोगों ने उसकी पढ़ाई में मदद करने का निर्णय लिया।
समय बीतता गया, और गुड़िया ने स्कूल की पढ़ाई अच्छे अंकों के साथ पूरी की। बाद में उसने शहर के एक कॉलेज में दाखिला लिया और खूब मेहनत करके डॉक्टर की पढ़ाई पूरी की। वर्षों बाद, वह एक डॉक्टर बनकर अपने गाँव लौट आई। अब वह अपने गाँव के लोगों का इलाज करने लगी।
गुड़िया के डॉक्टर बनने से गाँव के लोगों में भी एक नई उम्मीद जागी। उसकी कहानी सुनकर गाँव के दूसरे बच्चों ने भी बड़े सपने देखना शुरू कर दिया।
कहानी से सीख:
सपने बड़े हों, तो मुश्किलें भी बड़ी होंगी। लेकिन मेहनत, लगन, और हिम्मत से हर सपना पूरा किया जा सकता है।
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