सिया एक छोटी सी, प्यारी सी लड़की थी। गाँव के सभी लोग उसकी मददगार और हिम्मती स्वभाव के कायल थे। एक दिन, जब वह अपनी छोटी बहन परी के साथ बगीचे में खेल रही थी, तभी अचानक ज़मीन ने ज़ोर से हिलना शुरू कर दिया। यह अचानक से आया भूकंप था, और गाँव में हड़कंप मच गया।
सिया ने तुरंत अपनी छोटी बहन का हाथ पकड़ा और घबराए बिना उसे लेकर भागने लगी। गाँव के लोग चारों ओर भाग रहे थे। कुछ लोगों ने अपने घर से बाहर निकलने का रास्ता नहीं ढूँढा था। रास्ते में एक बूढ़ी अम्मा अपने घर के अंदर थीं, बाहर आने में हिचकिचा रही थीं। सिया ने देखा कि अगर उन्होंने और समय लगाया, तो उनका घर गिर सकता था।
सिया ने अपनी बहन को एक सुरक्षित जगह पर खड़ा किया और तुरंत उस अम्मा के पास पहुँच गई। उसने प्यार से उनकी बाँह पकड़कर बाहर की तरफ खींचा और बोली, "अम्मा, जल्दी चलो!" अम्मा पहले तो डर गईं, लेकिन सिया के भरोसे ने उन्हें हिम्मत दी, और दोनों तेजी से बाहर आ गए।
जब वे बाहर पहुँचे तो सिया ने देखा कि गाँव में कुछ लोग अब भी घरों में फंसे हुए हैं। बिना एक पल गँवाए, उसने आस-पास के लोगों को बुलाया और मिलकर सभी को बाहर निकालने में मदद की। धीरे-धीरे कंपन कम हो गया और सबने राहत की साँस ली।
गाँव के लोग सिया की बहादुरी को देखकर हैरान थे। उस दिन उसने सबको सिखाया कि मुश्किल घड़ी में घबराने के बजाय हमें हिम्मत और एक-दूसरे का सहारा बनना चाहिए। सिया ने न केवल अपनी बहन और अम्मा को बचाया, बल्कि पूरे गाँव को एकजुट होकर इस कठिन घड़ी का सामना करना सिखा दिया।
गाँव में अब सिया का नाम हीरो की तरह लिया जाने लगा।
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